Monday, April 30, 2018

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Labor Day/ Labour Day IN HINDI

LABOUR : A PILLAR OF WORLD (1st May)

किसी भी समाज, उद्योग ,संस्था आदि के विकास के लिए हमेशा से कामगारों  मेहनत करने वाले लोगो की ज़रुरत रही है। इन कामगारों के बिना औद्योगिक ढांचा की कल्पना करना व्यर्थ है। 

                                    मेहनत उसकी लाठी है, मज़बूत उसकी काठी है 
                                      बुलंदी नहीं पर नीव है, यही मज़दूरी जीव है। 


        भारत में एक मई का दिवस सबसे पहले मद्रास में 1 मई 1923 को मनाना शुरू किया गया था। हालांकि उस समय इसको मद्रास दिवस के रूप में मनाया जाता था । इस की शुरूआत भारती मज़दूर किसान पार्टी के नेता कामरेड सिंगरावेलू चेट्यार ने शुरू की थी। भारत में मद्रास के हाईकोर्ट सामने एक बड़ा प्रदर्शन किया और एक संकल्प के पास करके यह सहमति बनाई गई कि इस दिवस को भारत में भी कामगार दिवस के तौर पर मनाया जाये और इस दिन छुट्टी का ऐलान किया जाये। भारत समेत लगभग 80 मुल्कों में यह दिवस पहली मई को मनाया जाता है। इसके पीछे तर्क है कि यह दिन अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस के तौर पर प्रामाणित हो चुका है।

            अंतराष्‍ट्रीय तौर पर मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत 1 मई 1886 को हुई थी. अमेरिका के मजदूर संघों ने मिलकर निश्‍चय किया कि वे 8 घंटे से ज्‍यादा काम नहीं करेंगे. जिसके लिए संगठनों ने हड़ताल किया. इस हड़ताल के दौरान शिकागो की हेमार्केट में बम ब्लास्ट हुआ. जिससे निपटने के लिए पुलिस ने मजदूरों पर गोली चला दी जिसमें कई मजदूरों की मौत हो गई और 100 से ज्‍यादा लोग घायल हो गए. इसके बाद 1889 में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में ऐलान किया गया कि हेमार्केट नरसंघार में मारे गये निर्दोष लोगों की याद में 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाएगा और इस दिन सभी कामगारों और श्रमिकों का अवकाश रहेगा.


कामगारों के हक़ में आवाज़ उठाने का इतिहास पुराना है जब गुरू नानक देव जी ने किसानों, मज़दूरों और कामगारों के हक में आवाज़ उठाई थी और उस समय के अहंकारी और लुटेरे हाकिम ऊँट पालक भागों की रोटी न खा कर उस का अहंकार तोड़ा और भाई लालो की काम की कमाई को सत्कार दिया था। गुरू नानक देव जी ने ‘नाम जपना , काम करना , बाँट छकना और दसवंध निकालना' का संदेश दिया। गरीब मज़दूर और कामगार का विनम्रता का राज स्थापित करने के लिए मनमुख से गुरमुख तक की यात्रा करने का संदेश दिया।  1 मई को सिख समुदाय में भाई लालो दिवस के रूप में भी मनाते है 


                                                मै मज़दूर हूँ मज़बूर नहीं 
                                             यह कहने में कोई शर्म नहीं 
                                              अपने पसीने की खाता हूँ 
                                              मै मिट्टी को सोना बनाता हूँ। 
                                                 हर कोई यहा मज़दूर है 





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