Wednesday, November 27, 2019

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MAHARASHTRA GOVERNMENT

MAHARASHTRA GOVT FORMATION



 महाराष्ट्र में  पिछले कुछ दिनों से सरकार बनाने के लिए जो घमासान जारी रहा, वो अब समाप्त हो गया। सरकार बनने के पश्चात् लोगो के मन में बहुत सवाल उठे, पर एक सवाल जो हर पार्टी के लोग यहाँ तक की जनता भी सोचने से नहीं रोक पायी वह है- महाराष्ट्र का असली चाणक्य कौन : शरद पवार या अमित शाह 


गठबंधन की सरकार बनने के बाद इस सवाल का जवाब बहुत हद तक क्लियर हो गया।  फिर भी इसको जानने के लिए थोड़ा पीछे जाना पड़ेगा। इसमें कोई दो राय नहीं बीजेपी की सरकार बनाने में अमित शाह का बहुत योगदान है ,सरकार बनाने के लिए जितने भी विक्लप हो सकते है अमित शाह से अच्छा कोई उपयोग नहीं कर पाया है। पर महाराष्ट्र में अमित शाह भी फीके पड़ गए। वजह थी एक शख्सियत - शरद पवार। राजनितिक अनुभवों को देखा जाये तो अमित शाह , शरद पवार के आगे बच्चे है। जब शरद पवार पहली बार MLA बने थे तो अमित शाह उस समय मात्र 3 साल के थे। और शरद पवार जब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने तब उस समय अमित शाह सिर्फ 14 साल के थे। राजीनीतिक आधार पर ये कह सकते है कि अमित शाह,शरद पवार के सामने कहीं नहीं ठहरते। इतना सब पढ़ के अब तो आप जान चुके है कि असली चाणक्य कौन ? 



इस नए गठबंधन की सरकार के बनने पर यह सवाल उठना लाज़िमी है कि क्या ये स्थायी सरकार दे पायेगी , क्योंकि यह त्रिकोणीय गठबंधन राजनितिक विचारधारा पर सारी पार्टियां एक दूसरे से बहुत अलग है। इसी बात को लेकर देवेंद्र फडणवीस ने बोला कि यह तीन पहियों की सरकार है एक ना एक दिन एक्सीडेंट तो होना ही है।खैर ये भी सोचना ज़रूरी है कि शिव सेना अब महाराष्ट्र से आगे भी विस्तार चाहती है क्योंकि महाराष्ट्र में कुछ जगहों कोंकण और मुंबई को छोड़ दे तो बहुत प्रभुत्व जमा नहीं पायी है। और इस चीज को आगे ले जाने के लिए आदित्य ठाकरे को बड़े रोल के लिए तैयार कर रहे है। दूसरी ओर कांग्रेस पुरे देश में है पर अभी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। मुख्य मुद्दा तो यह है कि जब यही पार्टियां महाराष्ट्र से बाहर चुनाव लड़ेंगी तो क्या यही विचारधारा होगी या दूसरी।     


Friday, November 15, 2019

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pollution

POLITICS ON POLLUTION

  • दिल्ली सरकार --  प्रदूषण के  लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार  है। 
  • केंद्र सरकार -- प्रदूषण लिए दिल्ली सरकार जिम्मेदार है। 
  • अन्य राजनितिक लोग- इसके लिए केंद्र, दिल्ली सरकार और किसान जिम्मेदार है।  
delhi pollution
animation delhi pollution

देश की राजधानी दिल्ली में ठंड के दिनों में वायु प्रदूषण का पैर पसारना कोई नयी बात नहीं है, लेकिन जैसी राजनीति प्रदूषण को लेकर इस साल हुयी है ऐसा पहले नहीं हुआ था। इसका मुख्य वजह नेताओं का अपने जिम्मेदारी से हटना और एक दूसरे नीचे दिखाने की होड़ है।  

इसका मूल कारण केवल और केवल राजनीति ही है क्योंकि जिस चीज से हर साल परेशानी होती है उसको कण्ट्रोल करने के लिए कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाये जाते। जब इस चीज से परेशानी होती है तो आरोप- प्रत्यारोप का दौर शुरू हो जाता है और बहुत से लोग किसानों को दोष देने लगते हैं , लेकिन ये समझने वाली बात है कि जहाँ आज विकास के नाम पर लाखों पेड़ो को बलि दी जा रही रहीं है ,शहरों में स्तिथ बहुत से तालाबों और झीलों को पाट के बिल्डिंग का पेड़ खड़ा किया जा रहा है। तब क्यों नहीं पर्यावरण के नाम पर जागते हैं।  सीधी सी बात है जब कोई समस्या खुद पर आती है तभी हम उसके लिए जागते है। 
toxic
पराली जलते हुए 

पराली के जलने से भी प्रदूषण होता है इसमें कोई दो राय नहीं। लेकिन पराली के निदान के लिए कोई कदम नहीं उठाये जाते। जहाँ पर हर सेक्टर के विकास के लिए बात की जाती है वही पर किसानों के लिए कोई महत्वपूर्ण कदम नहीं उठाये जाते। 
सोचिये दिल्ली प्रदूषण कितना गंभीर हो चुका है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़ा।  जो भी लोग प्रदूषण को लेकर चिल्ला रहे है वो सब दिखावा करते है ,क्योंकि वही लोग 4 व्हीलर गाड़ियों में चलते है और दिन भर AC में रहते है। और कही भी प्रदूषण का एक मुख्य कारण आजकल यही गाड़ी और AC ही है। जिस दिल्ली में पुरे भारत के नेताओं का जमावड़ा. लगा रहता है उसी दिल्ली में देश की सबसे गन्दी नदी यमुना बहती है. अगर ये सब इतने ही जिम्मेदार होते तो ये ऐसे ही नहीं रहती। 

supreme court


किस गाड़ी से कितना प्रदूषण 
  • BUS- 2 %
  • CAR- 3%
  • LCV- 3%
  • THREE WHEELER- 5%
  • TWO WHEELER- 7%
  • TRUCK- 8%
  • TOTAL -28%
सभी बातो का निचोड़ ये है कि चाहे प्रदूषण हो, बाढ़ हो , सूखा हो , आंधी तूफ़ान हो  आदि इन सब चीजों से बस आम जनमानस ही परेशान होगा। जिनको AC में रह के बकवास करना रहता है उनको इन सब चीज से इतनी परेशानी नहीं होती है। तो आम आदमी खुद जागरूक बने।  
इस प्रदूषण से लोगो को हर वर्ग के, हर पार्टी (राजनीति से परे ) के लोगो को मिल के लड़ने की ज़रुरत है. 

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