DEATH PENALTY FOR RAPE
बेटियाँ है.... पहरे लगा दो . फिर सब ज़िम्मेदारी से बच जायेंगे
बेटियाँ है.... उन्ही पर ज़िम्मेदारी डाल दो .... दूसरे लोग क्यों ले
बेटियाँ है..... बेड़िया लगा दो, घर में रहेंगी तो महफूज़ रहेंगी
बेटियाँ है। .... पिंजरे में बंद कर दो। .फिर सवाल ही नहीं उठेंगे।
आज हम लोगो को उन लोगो के लिए लड़ने की ज़रुरत है, जो बलात्कार, छेड़छाड़ और एसिड हमले के खिलाफ आवाज उठाने से डरते हैं। अधिकांश मामलों में पीड़ितों और गवाहों को विभिन्न अवसरों पर धमकाया जा रहा है या उन पर हमला किया जा रहा है। हमें एक कदम आगे बढ़ के समाज की मानसिकता को बदलने और बलात्कार, छेड़छाड़ और एसिड हमले के अपराधियों के खिलाफ कुछ कानूनों में संशोधन करने की आवश्यकता है।
हम लोग एक छात्र, माता, भाई, बहन, पिता आदि हैं और हम भारत के भविष्य को बदलना चाहते हैं। भारत को भविष्य का सबसे सुरक्षित देश बनाने के लिए हमें आने वाली पीढ़ियों को निर्भीक होने के लिए शिक्षित करने की जरूरत है और किसी भी घटना को वे बिना किसी भय के अपने आसपास देखें। सड़कों पर चलना समय के लिए सुरक्षित हो जाये।
मानवता को सिखाया नहीं जा सकता है लेकिन कानूनों में संशोधन किया जा सकता है।
हम बलात्कारी के लिए मौत की सजा का कार्यान्वयन चाहते हैं, जिन्हें दोषी साबित होने के बाद सजा सुनाई गई है। यह उपाय लोगों में डर पैदा करने और उन्हें यह दिखाने के लिए महत्वपूर्ण है कि उनके कार्यों के बराबर परिणाम हैं।
मौत की सजा से कुछ भी कम नहीं
ठीक 7 साल पहले इसी दिसंबर महीने में देश में एक ऐसा जघन्य अपराध हुआ था जिससे पूरा देश सिहर गया था। पुरे देश के आँखों में आंसू और ज़ुबान पर न्याय मांग रहे थे। उस घटना में आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई गयी लेकिन आजतक फांसी नहीं दी गयी। पीड़िता की माँ और पूरा देश न्याय के इंतज़ार में रह गया।
ये घटना है -निर्भया।
दिसंबर 2012 में हुए घटना की न्याय अभी तक मिली नहीं थी कि उसी तरह एक और जघन्य अपराध हैदराबाद हो गया। एक रिपोर्ट के अनुसार देश में हर घंटे कम से कम 4 घटनाये रेप की होती है। महिलाओं का उत्पीड़न आदि इस रिपोर्ट में और इज़ाफ़ा करती है।
इस समय देश में 2058+ डेथ पेनाल्टी पेंडिंग है। वजह है लचर कानून व्यवस्था और उदासीनता। इस लिए ऐसे मामलों के लिए ठोस कदम उठाने की ज़रुरत है। और ऐसे जघन्य अपराध के लिए फांसी की सजा से कम कुछ भी ना हो।
वित्त मंत्री ने 1023 फास्ट ट्रैक कोर्ट के लिए निर्भया फंड के माध्यम से 700 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी है। बलात्कार के सभी मामलों की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में होना चाहिए और फैसला ज्यादा से ज्यादा 1 महीने के भीतर आ जाना चाहिए।
ऐसे निर्णय में तेज़ी के लिए ज़रूरी है कि देश के हर जिले में फोरेंसिक लैब होना चाहिए जिससे रिपोर्ट के लिए महीनों इंतज़ार न करना पड़े। सबसे ज़रूरी है प्रशासनिक विभाग की उदनसीनता को खत्म किया जाये। ऐसे केस के लिए कोई पुलिस या थाना ये ना कहे कि ये हमारे क्षेत्र में नहीं आता। अधिकतर घटनाओ में ऐसे सुनने में आता है कि पुलिस थानों के चक्कर कटवाए जा रहे थे। ऐसी उदानसीनता को लेकर जवाबदेही तय करना बहुत ज़रूरी हो गया है। राज्य सरकार और केंद्र सरकार को भी इस दिशा में ऐसी गंदगी ख़त्म करने के लिए कुछ संशोधन और ठोस कदम उठाने की ज़रुरत है। जिससे ऐसे घिनौने कामों पर लगाम लगाई जा सके।